Tuesday, November 6, 2007

आईआईटीएफ-2007 में दिखेगी पूर्वोत्तर की बहुरंगी संस्कृति की झलक

बुनियादी ढांचे का विकास, पुलों का निर्माण, चिकित्सा शिविर, शैक्षिक संस्थान, सामुदायिक केंद्र और सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं की मदद जैसे मानवीय एवं जनसेवी कार्यों के माध्यम से भारतीय सशस्त्र सेनाएं उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे पूर्वोत्तर के लोगों को मुख्य धारा में ला रही हैं।

भारतीय सेना अपनी मानवीय भूमिका को स्पष्ट करने के उद्देश्य से 14 से 27 नवंबर के बीच नयी दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के रक्षा पवैलियन में अपनी प्रस्तुति करेगी। रक्षा पवैलियन के इस विशेष पक्ष को ‘डिफेंडरर्स आफ द डान’ नाम दिया गया है और इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र की विविध और बहुरंगी संस्कृति की झलक दिखायी देगी।

इससे प्रधानमंत्री की 'पूर्वोत्तर की ओर देखो' को भी हकीकत के करीब लाने में मदद मिलेगी। पिछले छह दशकों से अशांति के दौर से गुजर रही भारतीय जनता को अब पूर्वोत्तर क्षेत्र में सेना के गंभीर प्रयासों से शांति की एक नयी किरण दिख रही है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा ये आठ राज्य हैं। इनमें से अधिकांश पिछले कई दशकों से आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन भारतीय सेना अपने नियमित कर्तव्यों के इतर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के लिये बुनियादी ढांचे के विकास के साथ ही कई जन सेवी कार्यक्रम चला रही है।

भारतीय सेना ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनता का दिल जीतने के लिये आपरेशन सहयोग, आपरेशन समारितन, सद्भभावना जैसे कार्यक्रम शुरू किये ताकि इन राज्यों में विकास कार्य पटरी पर आ सके।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में बहुतायत सड़कों एवं पुलों का निर्माण एवं रखरखाव का काम सशस्त्र सेनाएं कर रही हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और इन राज्यों के बीच संपर्क के विकास से इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित होने में मदद मिली है क्योंकि ये राज्य भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच पुल का काम करते हैं। यह पर्यटन एवं व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र है। इससे लोगों के आपसी संपर्क बेहतर हुआ है।

इस रक्षा पवैलियन से संबंधित किसी भी जानकारी के लिये आप श्री वी.के. अरोरा से 9811153833 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

Sunday, October 21, 2007

सैकडों रावण सज-धज कर तैयार हैं दहन के लिए

राजधानी दिल्ली विजयादशमी के रंग में डूब चुकी है। दिल्ली में दशहरा को लेकर बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं सभी में उत्साह देखते ही बन रहा है। लोगों को रावण, मेघनाद एवं कुंभकर्ण के धू धू कर जलते पुतलों को देखने का बेसब्री से इंतजार है।

दिल्ली में दशहरा पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। कई जगहों पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है। २१ अक्टूबर को विजयादशमी के दिन दिल्ली में रावण, मेघनाद एवं कुंभकर्ण के सैकडों विशालकाय पुतलों क जलाए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। कई रामलीला समितियां दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में रामलीलाओं का मंचन कर रही हैं, जिनमें लोग बढ-चढ कर भाग ले रहे हैं।

दशहरा के दौरान बनने वाले इन तीनों पुतलों पर कम से कम १२ हजार रुपये खर्च जबकि अधिकतम सीमा तय नहीं है। राजधानी में विभिन्न जगहों पर सैकडों पुतले खडे किए गए हैं। पुतला बनाने के कारोबार से जुडे एक कारीगर के अनुसार पुतलों की कीमत इनके आकार के हिसाब से रखी गयी है। पिछली बार की तुलना में इस बार पुतला बनाने पर अधिक खर्च आ रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार बांस, कागज आदि की कीमतें तेजी से बढी हैं। पुतला बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला कागज १० रुपये किलो से बढकर १६ रुपये किलो हो गया है।

यह त्यौहार सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी माना जाता है। रामलीला के मंचन से लेकर लंकापति रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाने के कार्य में हिन्दू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम भी बढ-चढ कर भाग लेते हैं। कुछ मुस्लिम कारीगर तो दशकों से पुतला बनाने के कारोबार में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि भारत में विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दशहरा के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

गौरतलब है कि राजधानी में आजाद मंडी, रमेश नगर, टैगोर गार्डन, करावल नगर, नांगलोई आदि में पुतला बनाने का व्यापक कारोबार होता रहा है। पुतला बनाने का कारोबार सैकडों कारीगरों एवं मजदूरों की जीविका का जरिया रहा है। ये लोग दशहरा से कई दिन पहले से ही पुतले बनाने के काम में जुट जाते हैं। यहां बनने वाले पुतलों की मांग तेजी से बढ रही है। दिल्ली में इस कारोबार की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आस-पास के राज्यों ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी यहां पुतले बनवाने के ऑर्डर दिए जाते रहे हैं।

दशहरा के दिन पुतला दहन देखने के लिए सडकों पर लोगों की भारी भीड जुटती है। इस दौरान पुलिस को यातायात जाम से निपटने के लिए भारी मशक्कत करनी पडती है। इस अवसर पर पुतलों को गौर से देखने के लिए लोग इमारतों की छतों, दीवारों, वाहनों की छतों आदि पर भी खडे होने से परहेज नहीं करते हैं।

Sunday, October 7, 2007

कहीं भी मूतने वालो अब हो जाओ सावधान !

'यहां पेशाब करना मना है', 'देखो गधा मूत रहा है' या 'यहां मत मूत गधे के पूत' जैसे वाक्य आपको विभिन्न दीवारों पर लिखे नजर आ सकते हैं. लेकिन दीवारों को गंदा होने से बचाने के लिये ये वाक्य कितने कारगर एवं प्रभावी साबित होते हैं? इस सब के बावजूद अधिकांश लोग साफ-सुथरी दीवारों आदि पर पेशाब करने या पान खाकर थूकने से परहेज नहीं करते. ऐसे लोगों से निपटने के लिये कुछ संगठनों एवं भवन मालिकों ने अपनी बाहरी दीवारों पर हिन्दू देवी-देवताओं का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

राजधानी दिल्ली में दीवारों को पेशाब एवं थूक से बचाने के लिये ऐसी दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगी देखी जा रही हैं. मेहरौली-बदरपुर रोड पर स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) कार्यालय की दर्जनों मीटर लंबी बाउंडरी को पान खाकर थूकने वालों एवं पेशाब करने वालों से बचाने के लिये इस पर कई देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाई गई हैं और यह प्रयोग काफी हद तक सफल भी हो रहा है. ITBP कार्यालय की विशाल बाउंडरी बिल्कुल साफ-सुथरी दिखती है. लोगों में यह धारणा व्याप्त है कि देवी-देवताओं की तस्वीरों, मूर्तियों, पीपल के पेड आदि के पास पेशाब करने या थूकने से उनका अहित हो सकता है और इसी भय से लोग इन स्थलों को गंदा करने से परहेज करते हैं.

गौरतलब है कि यह प्रयोग दिल्ली में कई जगह अपनाया जाने लगा है. दीवारों को गंदा होने से बचाने के लिये कई भवन मालिकों ने इन पर देवी-देवताओं की तस्वीरों वाली टाइल्स लगवाई हैं. जाहिर है यह उपाय अनोखा जरूर लग सकता है लेकिन इससे दीवारों को पेशाब एवं थूक से बचाने में काफी मदद मिल रही है.

Saturday, September 29, 2007

दुनिया को जीत लेने का जज्बा रखने वाला शख्स जिंदा लाश बन गया है

यह कहानी एक ऐसे बिहारी धावक की है जो पिछले १२ वर्षों विकलांगता से जूझ रहा है। यह शख्स पेशे से वकील है और आज शारीरिक विकलांगता के कारण दो डग चलने में भी असमर्थ है। इस शख्स का नाम है देवेन्द्र प्रसाद।

जब देवेन्द्र प्रसाद १९७९ में पूरे बिहार में ८०० मीटर की दौड में अव्वल आए थे, तो उनमें पूरी दुनिया को जीत लेने का जज्बा था। इसी दौड ने पेशे से वकील इस शख्स को एक ऐसी बीमारी का मरीज बना दिया जिसके कारण वे पिछले १२ वर्षों से बैठने में पूरी तरह असमर्थ हैं। वे अपनी दिनचर्या या तो लेट कर या खडे होकर निपटाते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय तक की कागजी कवायद के बावजूद उन्हें कहीं से मदद नहीं मिली।

पटना के कदमकुआं इलाके स्थित पीरमोहानी के रहने वाले देवेन्द्र प्रसाद आज खाना-पीना, शौच, यात्रा, सब कुछ लेट कर या खडे होकर निपटाने के लिए अभिशप्त हैं। उनका कूल्हा इस कदर जाम हो गया है कि वे बिल्कुल नहीं बैठ सकते। वे मायूस स्वर में कहते हैं कि ऐसा लगता है जैसे मेरी रग रग में ताले जड दिए गए हैं। मैं पिछले १२ वर्षों से बैठा नहीं हूं।

जो व्यक्ति कभी मैदान पर सरपट दौडा करता था, वह आज दो डग चलने के लिए भी खुद को घसीटता है। सिविल कोर्ट पटना में वकील देवेन्द्र प्रसाद को कोर्ट जाने के लिए भी रिक्शे की सवारी लेट कर या खडे होकर करनी पडती है। एन्कलोजिंग स्पोंडीलाइटिस बीमारी की चपेट में आने की उनकी कहानी वहीं से शुरू होती है जब वे सफल धावक हुआ करते थे। १९७९ में प्रांतीय दौड प्रतियोगिता में वे अव्वल तो आए, लेकिन उसी वक्त उनके पांव के अंगूठे में चोट लग गयी।

१९८०-८१ में कमर में मामूली दर्द शुरू हुआ। १९९३ तक उनका कूल्हा इस परेशानी की चपेट में आ गया। १९९७ में एम्स में उन्हें एनक्लोजिंग स्पोंडीलाइटिस का मरीज बताया। एम्स के डॉ. एस. रस्तोगी ने इसका निदान ऑपरेशन बताया। देवेन्द्र प्रसाद ने आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद लेनी चाही। एम्स ने कूल्हा पूरी तरह बदलने का खर्च १.२६ लाख रुपये बताया। प्रधानमंत्री कार्यालय के सेक्शन ऑफीसर पी. जी. जार्ज ने प्रसाद को पत्र (पत्र संख्या ८२ (६८७)/९८-पीएमएफ) के जरिए पूरा दस्तावेज सौंपने को कहा। प्रसाद ने ऑपरेशन की तारीख, आय प्रमाण पत्र आदि का ब्यौरा ३-३-९८ को पीएमओ को भेजा। दिल्ली की आहूजा सर्जीकल्स कंपनी ने हिप रीप्लेसमेंट के खर्च का ब्यौरा दिया।

एम्स की ओर से रस्तोगी और स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्कालीन अवर सचिव चरणजीत सिंह को यह सूचित किया गया कि मरीज को ऑपरेशन के लिए १५ जुलाई, १९९८ को भर्ती किया जाएगा, इसलिए प्रधानमंत्री सहायता कोष से एम्स निदेशक के नाम १.२६ लाख रुपये का चेक भेज दिया जाए। यह मदद प्रसाद को कभी नहीं मिली। इसी बीच एक बार फिर उनके साथ क्रूर मजाक हुआ और उनका पैर टूट गया। आज उनकी पत्नी बमुश्किल सिलाई कर २०००-३००० रुपये कमा लेती हैं। समय पर फीस नहीं चुकाने के कारण उनकी सतानों को कई बार स्कूल से बाहर किया जा चुका है।

४५ वर्षीय देवेन्द्र प्रसाद का कहना है कि मैं अपनी जिंदगी की लाश ढो रहा हूं। खुद किसी का खयाल आता है, लेकिन इस पडाव पर परिवार को छोड कर कैसे चला जाऊं? उनका पता है - देवेन्द्र प्रसाद, तीसरी गली, पीरमोहानी, पो.ओ. - कदमकुआ, जिला-पटना (बिहार)।

Friday, September 28, 2007

महात्मा गांधी पर लिखी नयी पुस्तक तैयार



२ अक्टूबर को महात्मा गांधी का १३८वां जन्मदिवस है और इस अवसर पर गांधीजी पर लिखी नयी पुस्तक विमोचन के लिए तैयार है। इस पुस्तक का नाम है - 'महात्मा गांधी :इमेजेज आइडियाज फॉर नन-वॉयलेंस'। लंदन में बीबीसी के पूर्व पत्रकार विजय राणा ने इस पुस्तक को संपादित किया है। भारतीय मूल के राणा NRIfm.com के संपादक हैं।

२ अक्टूबर यानी गांधी जयंती के अवसर पर इस किताब का विमोचन किया जाएगा। इस किताब में महात्मा गांधी से जुडें तमाम चित्रों को भी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि महात्मा गांधी के आदर्शों को लेकर न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में चर्चा होती रही है। भारत ही नहीं, विश्व के कई देशों में गांधीजी के अनुयायी बडी तादाद में मौजूद हैं. लोग उनके आदर्शों का पालन कर रहे हैं। इस किताब का लोकार्पण भारतीय उच्चायोग के इंडिया हाउस में होगा। इस किताब में गांधीजी के कई चित्रों, भित्तिचित्रों, पेंटिंगों आदि को शामिल किया गया हैं। इन चित्रों का महत्व यह है कि ये चित्र अपने आप में गांधीजी के आदर्शों को बयां करते हैं। ये चित्र अहिंसा, शांति, धार्मिक सौहार्द्, सामाजिक एकता, ग्रामीण विकास, आर्थिक उदारीकरण जैसे तमाम मुद्दों को बयां करते नजर आएंगे।

इस किताब में इस बात की भी व्याख्या की गयी है कि गांधी की पूजा पूरे विश्व में किस प्रकार होती है। दरअसल, गांधी की पूजा गांधी के विचारों के साथ होती है। इस किताब में शामिल चित्रों से यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार गांधी न केवल भारत में प्रेरणा के स्रोत हैं बल्कि वे विश्व के तमाम देशों में इसी प्रकार प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

इस किताब में गांधी के साथ साथ नेल्सन मंडेला के भी चित्र हैं। गौरतलब है कि मंडेला ने भी गांधी के आदर्शों को मान कर संघर्ष किया था। इस किताब में आयरलैंड की ब्लैक वैली के भी कुछ चित्र शामिल हैं। दरअसल, वहां एक स्मारक पर गांधीजी के कुछ शब्द लिखे हुए हैं। यह स्मारक ग्रेट आयरिश में आए अकाल में भूख से मारे गए लाखों लोगों की याद में स्थापित किया गया था। इसी प्रकार अलग अलग जगहों पर गांधी जी के आदर्शों वाले पत्थरों या पोस्टरों को चित्र के द्वारा यहां रखा गया है। विजय राणा को इस किताब को तैयार करने में तीन साल लग गए। राणा ने विश्व के अलग अलग हिस्सों से चित्र और अन्य सामग्री इकट्ठी की हैं।

Monday, September 24, 2007

टीम इंडिया ने रचा इतिहास

टीम इंडिया ने ट्‍वेंटी-20 विश्व कप जीत लिया। फाइनल मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 5 रनों से हरा दिया। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट पर 157 रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान की टीम 19.3 ओवरों में 152 रनों पर सिमट गई।

इरफान पठान को मैन ऑफ द मैच एवं शाहिद अफरीदी को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया. पठान ने 4 ओवरों में 16 रन देकर 3 विकेट लिए। वहीं कई अन्य खिलाडियों ने भी अच्छे शानदार खेल का परिचय दिया. गौतम गंभीर ने 54 गेंदों पर शानदार 75 रन तथा रोहित शर्मा ने १६ गेंदों पर ३० रन बनाए. हालांकि युवराज सिंह फाइनल मुकाबले मे चौकों एवं छक्कों की बारिश करने में असफल रहे. युवराज ने 19 गेंदों पर केवल 14 रन ही बनाए।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेताओं एवं जानी मानी हस्तियों ने शानदार जीत के लिए टीम इंडिया को बधाई दी है. टीम इंडिया को बधाई देने एवं टीम की हौसलाअफजाई करने वालों में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान भी शामिल थे. उन्होंने खिलाडियों से गले मिलकर उन्हे बधाई दी. इस अवसर पर उत्साहित हरभजन सिंह ने उन्हें गोद में उठा लिया. शाहरुख अपने बेटे के साथ स्टेडियम में इस रोमांचक मुकाबले के दौरान तालियां बजाते नजर आए तथा बाद में उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में खिलाडियों की जमकर तारीफ की.

Saturday, September 22, 2007

पंजाबियों दा शौक

यूं तो ८.५ लाख रुपये में दिल्ली जैसे शहर में एक छोटा आशियाना खरीदा जा सकता है, लेकिन पंजाब में ऐसे दर्जनों संपन्न लोग हैं जिनके लिये यह रकम कोई मायने नहीं रखती। वे इतनी बडी रकम मोबाइल फोन का नंबर खरीदने में खर्च करने से परहेज नहीं करते हैं। पंजाब में ऐसे कम से कम 100 लोग हैं जिन्होंने इस तरह के अनूठे नंबर हासिल करने के लिए 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक खर्च किए हैं।

इनमें से कुछ वीआईपी मोबाइल नंबर हैं :

9780000000 : 15 लाख रुपये
9864000005 : 9 लाख रुपये
9864000018 : 8.5 लाख रुपये
9864000001 : 7.5 लाख रुपये
9864100000 : 3.50 लाख रुपये


इन दिनों पंजाब में अनूठे मोबाइल नंबर हासिल करने का कुछ धनाढय लोगों पर जुनून छाया हुआ है। इन नंबरॉ के लिये लगने वाली बोली में ये संपन्न पंजाबी बढ-चढ कर भाग लेते हैं। अगर लुधियाना का एक व्यापारी 15.5 लाख रुपये का अनूठा मोबाइल फोन नंबर के लिए चर्चा के केंद्र में है तो यहां ऐसे कम से कम 100 लोग हैं जिन्होंने इस तरह के अनूठे नंबर हासिल करने के लिए 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये खर्च किए हैं।

संपन्नता के लिए जाने जाने वाले पंजाबियों पर स्वप्निल और वीआईपी नंबर हासिल करने का जैसे जुनून छाया हुआ है। दिखावटीपन की इस होड़ में वे मोबाइल कंपनियों की मुस्कराहट बढ़ा रहे हैं। मोबाइल कंपनियां इसका बढ़-चढ़कर फायदा उठा रही हैं। सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) भी इस माहौल का भरपूर फायदा उठा रही है और उसने इस सप्ताह अनूठे नंबरों के दीवानों को वीआईपी नंबर थमा कर करीब एक करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है। वीआईपी फोन नंबर 9864000005 हासिल करने के लिए एक व्यक्ति ने 9 लाख रुपया खर्च किया है वहीं मोबाइल नंबर 9864000018 और 9864000001 क्रमश: 8.5 लाख और 7.5 लाख रुपये में बिके हैं।

बीएसएनएल के एक अधिकारी का कहना है कि हमने इन वीआईपी नंबरों के लिए पंजाब के लोगों की बढ़ती ललक को ध्यान में रखकर ऐसे अनूठे नंबर गढ़े हैं। उन्होंने कहा कि पहले इस तरह के वीआईपी और अनूठे नंबर मंत्रियों, नेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों, उद्योगपतियों और विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को दिए जाते थे, लेकिन अब इस होड़ में सामान्य संपन्न लोग भी शामिल हो गए हैं। अधिकारी ने कहा कि पहले इस तरह के नंबर मुफ्त दिए जाते थे, लेकिन अब जब ऐसे नंबरों के लिए जबर्दस्त होड़ शुरू हो गयी है तो हमने मार्केटिंग की अपनी नीति बदल ली है।

लुधियाना के व्यापारी अमित मल्होत्रा ने जुलाई में हच कंपनी से 15 लाख रुपये में 9780000000 नंबर खरीदा था। उन्होंने ऑनलाइन नीलामी के जरिए यह नंबर खरीदा था। मल्होत्रा कहते हैं कि इस नंबर से मैं बेहद खुश हूं। यह नंबर खरीदने के लिए मैंने अपने दोस्तों और संबंधियों से पैसा भी उधार लिया। इस सप्ताह बीएसएनएल सीरीज का 9864100000 नंबर 3.50 लाख रुपये में बिका। गौरतलब है कि पंजाब के लोग वीआईपी कार नंबरों को खरीदने पर भी भारी-भरकम रकम खर्च करते हैं।